बातें करके रुला ना दीजिएगा...
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा...
खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलाया...
दोस्तो के लिए दोस्ती का रिस्ता बनाया...
पर कहते है दोस्ती रहेगी उसकी क़ायम...
जिसने दोस्ती को दिल से निभाया...
अब और मंज़िल पाने की हसरत नही...
किसी की याद मे मर जाने की फ़ितरत नही...
आप जैसे दोस्त जबसे मिले...
किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही बातें करके रुला ना दीजिएगा...
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा...
खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलाया...
दोस्तो के लिए दोस्ती का रिस्ता बनाया...
पर कहते है दोस्ती रहेगी उसकी क़ायम...
जिसने दोस्ती को दिल से निभाया...
अब और मंज़िल पाने की हसरत नही...
किसी की याद मे मर जाने की फ़ितरत नही...
आप जैसे दोस्त जबसे मिले...
किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही...
Thursday, October 25, 2007
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